गौरवमयी राष्ट्रीय भाषा | मातृभाषा हिंदी (स्वरचित कविता)

गौरवमयी राष्ट्रीय भाषा मैं आज लहराया भारतीय राष्ट्रीय ध्वज , सभी भाषाएं रह गयी अचरज भारतीयों की मेहनत आज रंग लाई , मैं आज पूरे विश्व में हूँ छायी। मैं हूँ भारत की सबसे प्रचलित भाषा , मुझसे जुड़ी है हर दिल की अभिलाषा एक दिन में सफलता की सीढ़ी चढ़ जाउंगी तभी मैं गौरवमयी राष्ट्रभाषा कहलाऊंगी। हिम्मत न कभी मैं हारूँगी , सफलता की ओर बढ़ती चली जाउंगी जल्द ही वह समय आएगा , जब भारत पूरे विश्व में जाना जाएगा । जब रचा जाएगा विश्व का इतिहास , तब मेरा होगा उसमें आवास भारत मेरी शान है , भारतीयों से ही मेरी पहचान है । भारतीयों ने है मुझे बनाया, उनमें है मैंने अपनापन पाया। विश्व मे रहेगा सदा मेरा अस्तित्व कभी न कम होगा मेरा महत्व। तुम पर किया मैंने भरोसा तुमने ही है मेरा सौंदर्य परोसा संस्कृत ही है मेरी माता वही है मेरी निर्माता। रमेश के ये भाव सजीव रखते है हिंदी की नींव हिंदी को न कर पायेगा कोई तोल क्योंकि यह भाषा ही है अनमोल तो गर्व से भाई तू हिंदी बोल। —रमेशचंद्र मातृभाषा हिंदी हिंदी ही गुरुम...